देश की पहली महिला मुक्केबाज बनी भिवानी की पूजा जिन्होंने ओलंपिक कोटा हासिल किया

भिवानी।  अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर भिवानी की मुक्केबाज पूजा बोहरा ने देश को बड़ा तोहफा दिया है। अब तक के मुक्केबाजी के इतिहास में ओलंपिक कोटा हासिल करने वाली वह देश की पहली मुक्केबाज बनी हैं। इससे पहले मैरीकाम को वर्ष 2012 में लंदन ओलंपिक के लिए अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक एसोसिएशन से वाइल्ड कार्ड एंट्री मिली थी। इस प्रकार पूजा बोहरा ने मिनी क्यूबा भिवानी को एक बार फिर नई सुर्खियां दी हैं। पूजा को ओलंपिक 2020 का टिकट मिलने पर परिवार और खेल प्रेमियों खुशी की लहर है।



75 किलो भार वर्ग में पूजा के नाम कई उपलब्धियां हैं। पिछले साल उसने कर्नाटक में हुई एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडिल जीता था। इससे पहले वर्ष 2014 में कोरिया में हुए एशियन गेम्स में कांस्य पदक और वर्ष 2012 में मंगोलिया में हुई एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक जीत कर देश का नाम रोशन किया था।


वर्ष 2007-08 में आदर्श महिला महाविद्यालय में पढ़ रही पूजा बोहरा फिजिकल लेक्चरर मुकेश रानी के संपर्क में आई। पूजा ने नेटबॉल खेलना शुरू किया। इसमें अंतर महाविद्यालय खेल प्रतियोगिता में उसने बेहतरीन प्रदर्शन भी किया। एक बार पूजा को कालेज के मुक्केबाजी मुकाबलों में रिंग में उतारा गया। इसमें उसने बेस्ट परफोरमेंस दी। इसके बाद तो अपनी अध्यापिका से उनका लगाव ज्यादा बढ़ गया और वह उनके घर आने जाने लगी। मुकेश रानी के पति भीम अवार्डी संजय श्योराण कैप्टन हवासिंह बॉक्सिंग अकादमी चलाते हैं। वर्ष 2009 आते-आते पूजा पूरी तरह से मुक्केबाजी से जुड़ गई।


पूजा मेरी पत्नी मुकेश रानी के साथ घर आती रहती थी। मैने पूजा में बॉक्सिंग टैलेंट देखा तो उस टैलेंट को निखारने की ठानी। पूजा ने ओलंपिक तक का सफर तय करने के लिए बहुत मेहनत की है। पूजा मेरी पत्नी को मां कहती है। हमने पूजा को बेटी की तरह आगे बढ़ाया है। वर्ष 2009 में वह बॉक्सिंग में पूरी तरह से उतर गई थी। इसके बाद तो उसने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियां हासिल की हैं। ओलंपिक 2020 में वह देश के लिए गोल्ड लेकर आएगी हमें भरोसा है।


ओलंपिक कोटा हासिल कर बेटी पूजा ने इतिहास रचा है। इसके बाद ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड जीत कर अगला रिकार्ड बनाएगी। इस मुकाम तक लाने में कोच संजय श्योराण और पूजा की मां दमयंती ने भी बेटी के लिए बहुत काम किया है।


- राजबीर सिंह, पूजा बोहरा के पिता