नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में मेट्रो नेटवर्क का दायरा बढ़ा है। साथ ही तकनीकी खराबी से परिचालन प्रभावित होने के मामले भी बढ़े हैं। फेज चार की मेट्रो परियोजनाओं पर जल्द काम शुरू होने वाला है, लेकिन अभी लास्ट माइल कनेक्टिविटी की बेहतर सुविधा नहीं हो पाई है। मेट्रो के किराये में कुछ खास वर्ग के लोगों को राहत देने की बातें भी उठी हैं। इन तमाम पहलुओं पर दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) के प्रबंध निदेशक मंगू सिंह से रणविजय सिंह ने बातचीत की। पेश है उसका प्रमुख अंश :
मेट्रो का नेटवर्क बहुत बड़ा हो गया है, ऐसे में डीएमआरसी के सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
- गुरुग्राम की रैपिड रेल के परिचालन की जिम्मेदारी मिलने के बाद दिल्ली-एनसीआर में मेट्रो का नेटवर्क 389 किलोमीटर हो गया है। इतने बड़े नेटवर्क पर प्रतिदिन सुचारू रूप से मेट्रो चलाना ही सबसे बड़ी चुनौती है। दिल्ली मेट्रो की एक-एक लाइन 50 किलोमीटर लंबी हैं। ऐसे में समय की पाबंदी व विश्वसनीयता बरकरार रखना भी चुनौती है।
तकनीकी खराबी के कारण परिचालन प्रभावित होने की घटनाएं बढ़ रही हैं। उसे कम करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
- मेट्रो में तकनीकी खराबी की घटनाएं बहुत ही कम होती हैं। रुक-रुककर चलने की बात तब होती है, जब यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना हो। मेट्रो के सामने ट्रैक पर थोड़ा भी अवरूद्ध महसूस होने पर सिग्नल नहीं मिलता। यह मेट्रो के सिस्टम में ऑटोमैटिक जुड़ा है, इससे रफ्तार कम हो जाती है ताकि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। हर दो-ढाई मिनट पर मेट्रो ट्रेनें स्टेशन पर आती हैं, इससे एक ट्रेन की रफ्तार कम होने पर उसके पीछे मेट्रो की लाइन लग जाती है। वैसे 99.9 फीसद बार मेट्रो सही समय से चलती हैं। सिर्फ 0.1 फीसद मामलों में देरी होती है। कोई भी सिस्टम सौ फीसद तकनीकी खराबी से मुक्त नहीं हो सकता।
हाल ही में गुरुग्राम के रैपिड रेल के परिचालन की जिम्मेदारी डीएमआरसी को मिली है। अब ऐसा क्या परिवर्तन करेगा, जिससे इस लाइन की स्थिति भी ठीक हो सके?
- डीएमआरसी को अभी सिर्फ परिचालन की जिम्मेदारी मिली है। उसके पास रैपिड रेल का किराया तय करने व नई ट्रेन लाकर उसकी क्षमता बढ़ाने का अधिकार नहीं है। हालांकि, उन्होंने किराया निर्धारण कमेटी का गठन किया है। दिल्ली मेट्रो में न्यूनतम किराया 10 रुपये व रैपिड रेल में 20 रुपये है। उम्मीद है यह असमानता जरूर दूर की जाएगी। इससे यात्रियों की संख्या बढ़ेगी। सिकंदरपुर में इंटरचेंज की सुविधा आसान की जाएगी। इसके लिए सिर्फ एक बार सुरक्षा की जांच की व्यवस्था की जाएगी।
फेज तीन के कॉरिडोर बनने पर मेट्रो में 40 लाख यात्रियों के सफर करने का अनुमान लगाया गया था पर ऐसा नहीं हुआ?
- सर्वे में मिले जवाब के आधार पर यह अनुमान लगाया जाता है। जरूरी नहीं कि वह अनुमान सच भी हो। हालांकि, मेट्रो में पहले के मुकाबले यात्रियों की संख्या बढ़कर करीब 35 लाख हो गई है। मेट्रो लाइन के इस्तेमाल व यात्रियों की यात्रा के आधार पर गणना करें तो यह संख्या प्रतिदिन 60 लाख तक पहुंच रही है।
लास्टमाइल कनेक्टिविटी की योजनाओं की क्या स्थिति है?
- बहुत सारे लोग चाहते हैं कि मेट्रो में जिस तरह की सुविधा उन्हें मिल रही है, वैसी ही सुविधा मेट्रो से उतरने के बाद आगे के सफर में मिले, इसलिए स्टेशनों पर कियोस्क के माध्यम से कैब बुक करने की सुविधा दी जा रही है। कैब के अलावा डीएमआरसी के हर स्टेशन पर ई-रिक्शा, ई-ऑटो व बाइक के लिए जगह अधिक उपलब्ध कराएगा और पार्किंग के लिए जगह कम होगी।
फेज चार की परियोजनाओं की मौजूदा स्थिति क्या है?
- फेज चार के तीन कॉरिडोर (जनकपुरी पश्चिम-आरके आश्रम, एरोसिटी-तुगलकाबाद और मौजपुर-मजलिस पार्क) को मंजूरी मिली है। उसके एलिवेटेड हिस्से के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया में है। जनकपुरी पश्चिम-आरके आश्रम कॉरिडोर के लिए पहला टेंडर आवंटित हो चुका है। अगले सप्ताह में इस कॉरिडोर का काम शुरू होगा। फेज तीन की तरह फेज चार में जमीन अधिग्रहण की परेशानी आड़े नहीं आएगी।
फेज चार के बाकी तीनों कॉरिडोर की क्या स्थिति है?
- बाकी की तीन लाइन से एक कॉरिडोर (रिठाला-नरेला) पर मेट्रो लाइट का निर्माण किया जाएगा। इसके डीपीआर के साथ दो अन्य कॉरिडोर (इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ, लाजपत नगर-साकेत जी ब्लॉक) को मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। मेट्रो लाइट कॉरिडोर के निर्माण में खर्च मेट्रो की तुलना में 50 फीसद कम हो जाएगा।
दिल्ली सरकार ने मेट्रो में महिलाओं को निशुल्क सफर की सुविधा देने व केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने बुजुर्गों व छात्रों को किराये में रियायत देने की बात कही है। डीएमआरसी की तरफ से क्या तैयारी है?
- जिस दिन इसका अंतिम फैसला होगा उस दिन मेट्रो के सिस्टम में बदलाव भी हो जाएगा, ताकि स्मार्ट कार्ड से लाभार्थी की पहचान हो सके। हमने सोच लिया है कि क्या और कैसे करना है, लेकिन करेंगे तभी जब अंतिम फैसला हो और किराया निर्धारण कमेटी बने। अभी कमेटी गठित करने का डीएमआरसी की तरफ से प्रस्ताव नहीं है।
किस तरह इस योजना को लागू किया जाएगा?
- यात्री अभी जिस स्मार्ट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं, उसका इस्तेमाल दूसरे यात्री भी कर सकते हैं। नए सिस्टम में कार्ड के साथ यात्री का बायोमीट्रिक डिटेल लिंक्ड होगा। यात्री को कार्ड के साथ अंगुली भी पंच करना पड़ेगा। इससे सिस्टम में लाभार्थी यात्री की पहचान हो सकेगी। इसके लिए सभी मेट्रो स्टेशनों के ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन गेट के सिस्टम में बदलाव करना होगा। इससे दूसरे यात्री कार्ड का गलत इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे और लाभार्थी को रियायत भी मिल सकेगी।